Land Development Bank – Land Development Banks (LDB) in India – Working and Progress of LDBs, भारतवर्ष में भूमि विकास बैंक (Land Development Bank) की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है , ये बैंक दीर्घकालीन लोन (Long Term Loan) प्रदान करते है। यह बैंक प्रत्येक राज्य में दो स्तर पर कार्य करते है। प्रथम, भूमि विकास बैंक राज्य स्तर पर कार्य करते है। बैंक राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त करते है। 1980-81 तक इनके द्वारा प्रदत लोन की राशि 439 करोड़ रूपये थी। द्रितीय, राज्य भूमि विकास बैंक (State Land Development Bank) के सहायक बैंक के रूप में प्रारंभिक भूमि विकास बैंक (Primary Land Development Bank) होते है।
ये बैंक उन राज्यों में कार्य करते है जहाँ पर राज्य बैंक नहीं होते है। बैंकों की पूंजी एवं लोन पत्र (Debentures) आदि राज्य सरकार, ब्यापारिक बैंक, सहकारी बैंक तथा स्टेट बैंक द्वारा प्राप्त की जाती है। इनके द्वारा जारी किये गए लोनों पर सम्ब्रध राज्य सरकार की प्रतिभूति होती है। इस बैंक को LDB बैंक के नाम से भी जाना जाता है। LDB, is a special kind of bank in India. LDB provides long-term finance to members directly through its branches.
Land Development Bank – भूमि विकास बैंक
भूमि विकास बैंक (Land Development Bank) का मुख्य कार्य भूमि को बंधक रखकर लोन प्रदान करना है। जैसे किसी को अपने भूमि पर बहुत ही अच्छी खेती करनी है और उससे बहुत ही अच्छे पैसे कमाने है तो वो अपने भूमि के कागजात को बैंक में रख कर लोन ले सकता है यह लोन दीर्घकालीन लोन (Long Term Loan) होते है , तथा इन लोन Loan का उद्देश्य मशीनरी, ट्रैक्टर(Tractor), भूमि में सुधार, पुराने लोन का भुगतान एवं कृषि कार्यों में सहायता प्रदान करना होता है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के निर्देशानुसार भूमि विकास बैंक के Loans का 90% उप्पादन कार्य में प्रयोग किया जाना चाहिए। The first Land Development Bank was started at Jhang in Punjab in 1920
The Sources of Funds of Land Development Banks (LDB) are:
- Share capital
- Deposits from members or non-members
- Issue of debentures
- Accepting deposits
- Reimbursements of subsidies from the government
- Other funds
आज के समय में Land Development Bank के समक्ष अनेक समस्या है, First – भूमि विकास बैंक (LDB) केवल बड़े किसानों को लोन प्रदान करते है जिनके पास पर्याप्त मात्रा में भूमि होती है जिसे बंधक (Mortgage) के रूप में रखा जा सकता है। इससे छोटे किसान, बेरोजगार कारीगर एवं सीमांत कृषक (Marginal Farmer) Loan की सुबिधायें प्राप्त करने से बंचित रह जाते है। Second – भूमि विकास बैंक में तकनिकी एवं कार्य कुशल कर्मचारियों का अभाव है। Third – भूमि विकास बैंकों द्वारा प्रदत लोनों की बकाया राशि बड़ी मात्रा में देय रहती है। इससे बैंक नये लोन प्रदान करने में असमर्थ रहते है, उन्हें पुनर्वित की सुबिधायें प्राप्त नहीं हो पाती है।
भविष्य में, इनके उत्थान के लिए Government द्वारा बिभिन्य कार्यक्रम (Programs) निर्धारित किये गये है। इनके लिए लघु सिचाई कार्यक्रमों का एरिया विस्तृत किया गया है जिसके अंतर्गत 50% Loan भूमि विकास बैंक (LDB) प्रदान करेगें।
LDB provides LONG-TERM funds for various agriculture related projects besides development of land and business.