10 Facts About Life Insurance in Hindi – अगर आप जीवन बीमा लेने जा रहे है तो सबसे पहले इन 10 बातों को जरूर ध्यान में रखें। Life Insurance लेने से पहले कुछ बातों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए वो बातें कौन कौन सी आप इस पोस्ट के माध्यम से जानकारी प्राप्त करेंगे आईये जानतें है उन टिप्स के बारे में जिनको आप को हमेशा ध्यान देना चाहिए, उसके बाद ही Life Insurance लेना चाहिए?
10 Facts About Life Insurance in Hindi
लाइफ इन्शुरन्स एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमे बीमाधारक की मृत्यु के बाद परिवार या आश्रितों को कवर की राशि मिलती है। जीवन बीमा दो तरह के होते है एक पुरे जीवन के लिए और दूसरा टर्म इन्शुरन्स। टर्म इन्शुरन्स का प्रीमियम कम होता क्योंकि इसमें पूर्ण रूप से लाइफ कवर मिलता है बिना किसी बचत या लाभ के।
होल लाइफ पालिसी में पूरी लाइफ का कवर मिलता है इसलिए इसकी मेच्योरिटी निर्धारित नहीं होती है, बीमाधारक को मृत्यु तक प्रीमियम भरना होता है और उसकी मृत्यु के बाद उसके परिवार या नोमिनी को धनराशि मिलती है।
फण्ड को सलेक्ट करने के अलावा लाइफ इन्शुरन्स के कई और भी पहलू भी होते है, जिनका लाइफ इन्शुरन्स लेते समय आपको ध्यान होना चाहिए, इस पोस्ट में आप जीवन बीमा लेने से पहले ध्यान देने वाली जरुरी बातों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
1. परिपक्वता अवधि के बारे में जाने –
Insurance Policy खरीदने का मतलब है कि आप Ek Prakar ke Contact or अनुबंध से सहमत हैं। आप Policy खरीदते समय अपनी सहमति देते हैं। यदि आपने Policy खरीदते समय Maturity Date से सहमत हो गए हैं तो आप बाद में इसमें बदलाव नहीं कर सकते हैं। Example के तौर पर, यदि आपने 60 Years ka Plan लिया है, तो आप maturity date में बदलाव नहीं कर सकते हैं। आप 80 साल के लिए आपको दूसरा Cover ही लेना पड़ेगा।
2. Insurance Company से Loan –
आप Insurance Companies से Loan भी ले सकते हैं। इस Loan पर Interest Rate क्या लगेगी यह इस पर निर्भर करता है कि आप Loan Amount कब लेते हैं। ये ब्याज दर एक Index पर निर्भर है। Example के तौर पर, Bank’s द्वारा निर्धारित 10 Years की जी-सेक या Based Interest Rate बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा Approval की गई होती है। Insurance Holder द्वारा यह अलग-अलग हो सकती है।
3. Insurance Policy को सरेंडर करने के दौरान –
यदि कोई कुछ साल बाद अपनी पॉलिसी सरेंडर करते हैं, तो इसके Charges आपकी Policy और इसके फीचर्स पर निर्भर करेंगे। सरेंडर Value का, भुगतान किए गए Payment से कोई सीधा Link नहीं है, बल्कि Unit link Policy में यह Unit Value पर या Traditional Policy के अर्जित लाभ पर Depend करता है। अगर आपके पास ULIP (यूएलआईपी) है तो आपको 5 Years के बाद पूरी Unit Value मिलेगी क्योंकि 5 Years पर सरेंडर चार्ज 0 हो जाते हैं। Traditional Policy में सरेंडर Value अर्जित लाभ की कोई Discount की गई वेल्यू होती है। सरेंडर चार्ज हर पॉलिसी में अलग होते हैं और Contact में लिखे होते हैं।
4. Insurance का कॉन्ट्रैक्ट में बताएं सही जानकारी
Insurance का Contact यूबेरिमा फंड्स के सिद्धांत को फॉलो करता है जिसका मतलब है पूरा विश्वास। इसमें आपको अपनी सभी निजी जानकारी हेल्थ से रिलेटेड जानकारी पहले कोई बीमारी तो नहीं थी ऐसी जानकारी के बारे में पहले रही समस्याएँ बतानी होती हैं। अगर आप सही जानकारी प्रदान नहीं करते हैं तो आपका Claim Reject हो सकता है। Insurance Policies के Contact में इस बारे में सारी जानकारी होती है।
5. पॉलिसी के बारे में प्राप्त कर लें
Insurance कानून की Sec 45 के अनुसार आप किसी Policies को 3 साल के बाद अस्वीकृत नहीं कर सकते हैं। यदि Insurance Holder फिर से मूल्यांकन करता है और First Policy के बाद 2nd Policy जारी करता है तो ज़रूरी है कि Claim और नियम व शर्तों की पूरी जानकारी दी जाये। Policies के बारे में पूरी तरह निश्चिंत होने के बाद आप अपने हेल्थ का सर्टिफिकेट लेटर दे सकते हैं।
6. Loan and Re-Payment का प्रीमियम पर कोई असर नहीं
लाइफ इन्शुरन्स की एंडॉवमेंट पॉलिसी Loan की Facilities देती है, जबकि Unit link Insurance और Term-Insurance में ऐसा नहीं होता है। Generally तौर पर, स्वीकृत किया गया Loan सरेंडर Value का एक Ratio होता है। ध्यान रहे कि Loan and Re-Payment Premium पर कोई असर नहीं पड़ता है।
7. अगर आप Loan का Payment नहीं करते हैं तो Amount आपके Insurance से वसूली जाती है।
8. एक नियम के रूप में, एक Person को Annual Income से 10 गुना का Cover लेना चाहिए।
9. Term Insurance Policy में अगर Insurance Holder की Death हो जाती है तभी Nominee को Amount मिलती है। Policies के सरवाइवल या Maturity बेनिफ़िट नहीं हैं।
10. अगर आपने पॉलिसी लेते समय नॉमिनी का नाम नहीं diya है, तो कानूनी उत्तराधिकारी को Insurance Benefits मिलेगा। Claim ke time par बीमाकर्ता द्वारा उत्तराधिकार का Document’s मांगा जाता है।
ये सब बातों के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद ही आप को Life Insurance – जीवन बीमा लेना चाहिए ताकि बाद में कभी किसी तरह की परेशानी न हो, नहीं तो एजेंट लोग बहुत कुछ बताकर बहुत कुछ कर जाते है और बीमाधारक को पता भी नहीं लगने देते है।